भारत और इजरायल की सेना क्यों एक साथ मनाते हैं हैफा दिवस
क्या आप जानते हैं भारत और इजरायल की सेना एक साथ एक विशेष दिन मनाते हैं या यूं कहिए 'सेलिब्रेट' करते हैं। इस विशेष दिन की तारीख है 23 सितंबर। आप ये पूछेंगे कि क्यों भई ऐसी क्या खास बात है इस दिन जो हम लोग ये विशेष दिन इजरायिलों के साथ मनाते हैं ? ये जानने के लिए हमारे साथ जुड़ें रहें।
हैफा की लड़ाई और स्मृतियां
दिन था 23 सितंबर, सन् 1918 ई. इसी दिन भारतीय सेना ने तुर्की के विरुद्ध लड़ते हुए इजरायल के हैफा शहर को स्वतंत्र कराया था। हैफा शहर पर अपना कब्ज़ा ज़माने के लिए मशीन गन और तोपों से पूरी तरह तैयार तुर्की और जर्मनी की सेना थी तो दूसरी तरफ उसे रोकने के लिए भालों और तलवारों से सुसज्जित भारत की तीन रियासतों की सेना थी। इसके बावजूद भारतीय सेना ने तुर्की और जर्मनी की सेना परास्त करते हुए उन्हें हैफा शहर से भागने के लिए मजबूर कर दिया था। इसी विशेष दिन को याद करते हुए भारतीय और इजरायली सेना प्रतिवर्ष 23 सितंबर को 'हैफा दिवस' के रूप में मनाते हैं।
हमारे देश में बहुत ही कम ही लोग हैं, जिन्हें इजरायल के फिलिस्तीन के समीप हैफा शहर के स्वतंत्रता की लड़ाई में तीन भारतीय रेजीमेंटों - जोधपुर लांसर्स, मैसूर लांसर्स और हैदराबाद लांसर्स के अद्वितीय योगदान के बारे में ज्ञात होगा। उस समय ब्रिटिश सेना के अंग होने के नाते लड़ते हुए इन तीनों भारतीय रेजीमेंटों ने अत्याचारी तुर्की सेना से हैफा शहर को स्वतंत्र करावाया था और इस लड़ाई में 900 से भी ज्यादा भारतीय योद्धाओं ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, जिनकी याद आज भी इजरायल के सात शहरों में बसी हैं और उनकी गाथा सुनाता एक स्मारक, जिस पर इजरायल और भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को 'हैफा दिवस' के शुभ अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन महान योद्धाओं को याद करते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री भी जा चुकें हैं हैफा स्मारक पर
हैफा की लड़ाई और स्मृतियां
चित्र साभार : द एशियन ऐज |
हमारे देश में बहुत ही कम ही लोग हैं, जिन्हें इजरायल के फिलिस्तीन के समीप हैफा शहर के स्वतंत्रता की लड़ाई में तीन भारतीय रेजीमेंटों - जोधपुर लांसर्स, मैसूर लांसर्स और हैदराबाद लांसर्स के अद्वितीय योगदान के बारे में ज्ञात होगा। उस समय ब्रिटिश सेना के अंग होने के नाते लड़ते हुए इन तीनों भारतीय रेजीमेंटों ने अत्याचारी तुर्की सेना से हैफा शहर को स्वतंत्र करावाया था और इस लड़ाई में 900 से भी ज्यादा भारतीय योद्धाओं ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, जिनकी याद आज भी इजरायल के सात शहरों में बसी हैं और उनकी गाथा सुनाता एक स्मारक, जिस पर इजरायल और भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को 'हैफा दिवस' के शुभ अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन महान योद्धाओं को याद करते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री भी जा चुकें हैं हैफा स्मारक पर
चित्र साभार:Rediff
|
भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इजरायल के दौरे पर जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री है। अपनी इस ऐतिहासिक दौरे के दौरान ही हैफा के ऐतिहासिक स्मारक पर प्रधानमंत्री ने हैफा की लड़ाई के शहीदों को याद करते हुए नमन किया था। इस दौरान इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी उनके साथ मौजूद थे।
COMMENTS